इश्वर मुस्कुराते हुए
लगातार हारने के बाद
बहुत हताशा के साथ
मै इश्वर के समीप गया
जो मुस्कुरा रहे थे
मैने चेहरा देखा
और आँखो को नम करते हुए
अपना प्रश्न किया
अपनी विपदाओं और असफलताओ के बारे मे
जो मेरे लिये काफी बड़ी थी
और उनके लिये काफी न्यून
अपने सारे कर्मो का दोष उन्हे देकर
पीछा छुड़ाना चाहा मैने अपने आप से
तो घंटी बजी
टन टन टन
मै पीछे मुड़ा
फिर अपना एक प्रतिरूप देख
सीधा हो गया
इश्वर तो रुढिवादी निकले
अभी भी मुस्करा रहे है
तो अचानक मुझे वह सभी
मुर्तिया जो मन्दिरो में लगी है
और तस्वीरे याद आ गयी
जो मुस्कुराती है
विपदाओ को झेलने के बाद भी
:- आदर्श चौहान